नई दिल्ली, 25 नवम्बर 2019 (दैनिक पालिग्राफ)। दलेस, जलेस, जन संस्कृति मंच और न्यू सोशलिस्ट इनिशिएटिव के सांझा तत्वावधान में 'दलित आन्दोलन' 'साहित्य और कलाएं' विषय पर सेमिनार का आयोजन कनाॅट प्लेस नई दिल्ली में सोमवार को किया गया। बीच वक्तव्य आलोक भौमिक ने 'चित्रकला व धर्म' प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि धर्म के प्रसार में चित्रकला का योगदान प्रमुख रहा। मूर्तिकार लतिका कट्ट ने अपने मूर्तिकला के सफर को बताया। सावि सावरकार ने अपने चित्रकला के माध्यम से दलित आन्दोलन का वर्णन किया। उन्होंने अपने विषय 'चित्रकला में दलित आन्दोलन' पर धारा प्रवाह विचार रखे। भंवर मेघवंशी ने 'साहित्य और दलित आन्दोलन' विषय पर राजस्थान में हो रहे दलित आन्दोलनों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि दलित आन्दोलनों का असर समाज में दिखाई दे रहा है। इस सेमिनार में पहली बार दलित आन्दोलन को चित्रकला, साहित्य और सिनेमा के दृष्टिकोण से देखा गया।
फिल्म लेखक व निर्देशक डा. सुधीर सागर ने 'फिल्म और दलित मुद्दे' विषय पर चर्चा करने से पूर्व आयुषी फिल्म्स द्वारा तैयार की गई 'फिल्म और दलित मुद्दे' को स्क्रीन पर दिखाया। इसमें आरक्षण, आर्टिकल 15, भेदभाव और शूद्र के प्रमुख अंगों के साथ चैनल टुडे के लिए डा. सागर द्वारा की गई फिल्म 'आर्टिकल 15' की रिव्यू को भी दिखाया। डा. सागर ने पिछले सौ वर्षों के फिल्मी सफर में दलित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर भी सवाल उठाया कि दलित फिल्ममेकर्स को फिल्ममेकिंग सीखकर आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब फिल्में रिलीज करना आसान हो गया है। क्योंकि अब डिजीटल प्लेटफाॅर्म ज्यादा हैं। अध्यक्षीय सम्बोधन में हीरालाल राज्स्थानी ने कहा कि दलित आन्दोलन में सभी कलाएं शामिल होनी चाहिए।
मंच संचालन बजरंग बिहारी तिवारी ने किया तथा चित्रपाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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