झांसी, 26 नवम्बर 2019 (दैनिक पालिग्राफ)। विज्ञान की शिक्षा की अपेक्षा वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भारत जैसे विकासशील देश को अधिक आवश्यकता है, उक्त विचार मुख्य अतिथि कुलपति बुंदेलखंड विश्वविद्यालय प्रो.जे.वी. वैशम्पायन ने सूक्ष्म जैविकी विभाग में एमआरडी लाइफ साइंसेस के संयुक्त तत्वाधन में आयोजित दो दिवसीय माॅलीक्युलर बायलोजी प्रयोगशाला प्रशिक्षण के उद्घाटन समारोह में व्यक्त किये।
कुलपति ने कहा की वर्तमान युवाओं को पुस्तक में छिपे विज्ञान को व्यवहारिकता में लाने की जरूरत है। इससे जो लोग किन्हीं कारणांे से विज्ञान की औपचारिक शिक्षा से वंचित रह गये हैं वे अनौपचारिक माध्यम से विज्ञान को समझा सके। जब तक विज्ञान सरल रूप में जनमानस के प्रयोग में नहीं आयेगा तब तक इससे संपुर्ण लाभ प्राप्त नहीं किया जा सकता है। डीन साइन्स प्रोफेसर एम.एम. सिंह ने आधुनिक युग में वैज्ञानिक अन्वेषण पर आधारित दो दिवसीय कार्यक्रम की उपयोगिता के संदर्भ में कहा कि शिक्षा की संपुर्णता तभी है जब हम उसे प्रायोगिक स्तर पर सीख कर अपने जीवन में अपना सके। डॉ० मनोज वर्मा, निदेशक एमआरडी लाइफ साइंसेस ने प्रशिक्षण द्वारा जीव विज्ञान की जटिलताओं के समाधान पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम सचिव व समन्वयक डॉ संगीता लाल ने कार्यक्रम के विषय परख होने व विज्ञान में रुचि व समझ विकसित करने पर प्रशिक्षण को आवश्यक बताया। कार्यक्रम आयोजक असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजय कुमार जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान डॉ ऋषि सक्सेना, डॉ पंकज सागर के साथ लगभग ७० प्रशिक्षण प्रतिभागीयों ने भाग लिया।
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