नई दिल्ली: स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ‘पर्यावरण संरक्षण - भारतीय अवधारणा और जनसहभागिता‘ गोष्ठी आयोजित


Edited By : Shubham Shrivastava
प्रदीप यादव
नई दिल्ली, 13 जनवरी 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र, पूर्वी दिल्ली इकाई द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती पर ‘पर्यावरण संरक्षण - भारतीय अवधारणा और जनसहभागिता‘ विषय पर आयुष्म आयुर्वेदिक एवं नेचुरोपैथी सेंटर में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा (कुलपति, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय) रहे एवं इसकी अध्यक्षता विनोद शर्मा ‘विवेक’ ने की। इस कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथि के तौर पर शिव कुमार (संचालक, आयुष्म आयुर्वेदिक एवं नेचुरोपैथी सेन्टर), पर्यावरणविद मंजू खन्ना, डॉ. कृष्णचंद्र पांडे, डॉ. स्वदेश पांडे एवं डॉ. मालती (पूर्व प्राचार्य, कालिंदी महाविद्यालय) उपस्थित थे। इस गोष्ठी में वर्तमान समय की पर्यावरण संबंधित विभिन्न समस्याएँ एवं चुनौतियाँ जो कि भारत सहित विश्व-स्तर पर परिलक्षित हो रही हैं  उस पर चर्चा हुई। पर्यावरणीय संकट सम्बन्धी समस्या को दूर करने के उपाय, लोगों को जागरूक करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में उनकी सहभागिता को बढ़ाने हेतु इस कार्यक्रम में कई बिंदुओं को बड़े ही स्पष्ट शब्दों में रखा गया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, तत्पश्चात पर्यावरण संबंधी ‘वृक्ष की व्यथा’ विषय पर छात्र छात्राओं ने एक लघु-नाटिका प्रस्तुत किया जिसके माध्यम से वृक्ष के महत्व और उसके प्रति हमारे कर्तव्य को समझाया गया।  इसके बाद इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र से जुड़ी गतिविधियों को डिजिटल वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। द्रोणाचार्य ने भगवती शर्मा को अपने द्वारा लिखी रचना को भेंट कर उनको सम्मानित किया तथा भगवती शर्मा के करकमलों द्वारा ‘पर्यावरण संरक्षण: अपनी भूमिका’ विषय पर डॉ विवेक पवार एवं मूलचंद्र सिंह द्वारा लिखी पुस्तक का विमोचन किया गया। विनीत पांडेय जी (वीर ,हास्य रस के कवि) द्वारा ‘प्रकृति ,पेड़ो से सृष्टि का अस्तित्व’ विषय पर कविता पढ़ी गयी।
इस गोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा ने विवेकानंद की जयंती पर पर्यावरण में बदलाव, उसके भौतिक आयाम, राजनैतिक, धार्मिक सांस्कृतिक सजकता व जागरूकता आदि के पहलुओं को उत्तम ढंग से समझाया। उन्होंने पर्यावरण के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने हेतु पर्यावरण संबंधी संसाधनों के संरक्षण व महत्व को धर्म से जोड़ कर सभागार में लोगो को जागरूक करने का प्रयास किया। भूगर्भ से धरातल तक सूक्ष्म से सूक्ष्म विश्लेषण कर प्रकृति के साथ मानव की कैसे सामंजस्य दृष्टि होनी चाहिए इसको भी डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा ने बताया। श्रोतागण उनके वक्तव्य से उत्साहित एवं संतुष्ट दिखे।
अध्यक्षता करते हुए विनोद शर्मा ‘विवेक’ ने पर्यावरण की सहभागिता पर बल दिया। इस कार्यक्रम में सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए हर वर्ग के बुद्धिजीवी, शिक्षाविद, प्रशासक, शोध छात्र, उद्यमी, कार्मिक आदि लोगों ने भाग लिया। 
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती कमलेश नागर ने किया।


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