झांसी: बी.यू. के बायोमेडिकल इंस्टीट्यूट में हुआ संगोष्ठी का आयोजन 


शुभम श्रीवास्तव
झांसी, 19 फरवरी 2020 (दैनिक पालिग्राफ)।  विज्ञान के नवोन्वेषी अनुसंधान किसी भी देश एवं समाज के विकास में महत्वूपर्ण भूमिका निभाते है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम वैज्ञानिकों की नई पौध तैयार करे जो हमारे देष के विकास मे सहायक हांे। यह विचार आज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे.वी.वैषम्पायन ने व्यक्त किये। प्रो. वैशम्पायन आज बुन्देलखण्ड विष्वविद्यालय परिसर में संचालित इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल साइंसेज तथा वैद्य रामनारायण शर्मा इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद एंड अल्टरनेट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के संयुक्त तत्वाधान में विष्वविद्यालय के गांधी समाागर मं आयेाजित आयोजित दो दिवसीय थर्ड नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इमर्जिंग सिनर्जिस्टिक ट्रेंड्स इन आयुर्वेदिक एंड बायोमेडिकल साइंसेज के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। कुलपति ने 
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चल रहे स्प्राईड प्रोजेक्ट मॉड्यूल वन का जिक्र करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय का सौभाग्य है कि अपने परिसर में स्थित इनोवेशन सेंटर में उपलब्ध संसाधनों तथा प्रयोगषालाओं के आधार पर नवीन युवा वैज्ञानिकों की नई पौध को तैयार करने में का जिम्मा विश्वविद्यालय को दिया गया ह। उन्होंने आषा व्यक्त कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय इस कार्य में इस क्षेत्र के युवाओं में विज्ञान के प्रति जागरूकता पैदा कर उन्हें वैज्ञानिक बनने में सहायता प्रदान करेगा।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान भोपाल के निदेशक प्रोफेसर सरवन सिंह ने कहा की इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन बहुत ही सही समय पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में पुरातन आयुष विज्ञान जिसमें आयुर्वेद और योग हैं अवष्य ही मानव के लिए प्रीवेंटिव मेजर हैं परन्तु आधुनिक चिकित्सा शास्त्र को पूरी तरह बाहर नहीं किया जा सकता वह एक वैज्ञानिक आधार पर स्थापित है। प्रो.सिंह ने कहा कि बुनदेलखण्ड विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं वैज्ञानिक गुणवत्तापूर्ण शोध कार्य में रत है। 
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा वर्तमान में दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रमेश चंद्रा ने अपने वक्तव्य में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में अपने दो कार्यकाल के दौरान की विभिन्न घटनाओं का वर्णन किया उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति के बारे में बताया उन्होंने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की प्रगति में वहां पर पुरातन छात्र महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते है।ं अतः उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि वह विश्वविद्यालय में पुरातन छात्र परिषद का गठन करें ताकि विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र विश्वविद्यालय की प्रगति में सहयोग कर सकें। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय एक प्रकार से अन्य विश्वविद्यालयों के लिए मॉडल है जिसे वास्तव में पूरी तरह स्व वित पोषित विश्वविद्यालय कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर चंद्रा ने कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने इस क्षेत्र के आर्थिक सामाजिक राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विश्वविद्यालय में संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो.एम.एम. सिंह ने कहा कि झांसी महारानी लक्ष्मीबाई की वीर भूमि है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार के खनिज तथा औषधीय पौधे यहां के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर सकते हैं। प्रो.सिंह ने कहा वर्तमान में विश्वविद्यालय के इनोवेशन सेंटर में  उपलब्ध विभिन्न उपकरणों के माध्यम से यहां क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले  औषधीय पादप में उपलब्ध रासायनिक अभियानों की जांच कर उनका वैलिडेशन किया जा रहा है जिससे कि उनका भविष्य में दवाओं में तथा चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग किया जा सके।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि प्रो.जीएल शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में उनका कार्यकाल अत्यधिक महत्वपूर्ण रहा है और वे आज भी उसको याद करते हैं। उन्होंने इस विश्वविद्यालय की प्रगति की कामना की।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि झासंी के संासद एवं वैद्यनाथ के निदेशक अनुराग शर्मा ने आयुर्वेद प्राचीन समय से ही मनुष्य की स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को पूरा करने के लिए हैं। यह यद्यपि हजारों वर्षों से प्रचलित है, फिर भी प्रणाली को वैकल्पिक कहा जाता है। उन्होंने कहा कि उनका न्यास युवा वैज्ञानिकेां के लिए प्रतिवर्ष एक-एक लाख रूपये की  बारह छात्रवृत्तियो प्रदान करेगा जिससे छात्र वैज्ञाकिन शोध के प्रति आकर्षित हो सके।
आज के कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख पुष्पपार्चन, माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन से प्रारंभ हुआ। मंचासीन अतिथियों का  पुष्प भेंट कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर एक स्मारिका का विमोचन मंचासीन अतिथियों  के द्वारा किया गया। 
आमंत्रित अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की  तथा कहा कि आधुनिक बायोमेडिकल साइंस के साथ प्राचीन आयुर्वेदिक विज्ञान के एकीकरण की तत्काल आवश्यकता है। रसायन विज्ञान, औषधीय, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, आणविक जीव विज्ञान, आनुवंशिकी और अन्य जैविक विज्ञान के संयोजन से बायोमेडिकल साइंसेज एक अंतःविषयक विशेषज्ञता के रूप में उभरा है। 
कार्यक्रम का संचालन की डॉक्टर रामवीर सिंह ने ही किया। 
इस अवसर पर वरिष्ठ आचार्य प्रो.वी.के.सहगल, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो.देवेश निगम, प्रो.अपर्णाराज, प्रो.सुनील काबिया, मुख्य कुलानुषासक प्रो.आर.के.सैनी, प्रो. प्रतीक अग्रवाल, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो.सी.बी.सिंह, प्रो.एस.के.कटियार, डा.विनीत कुमार, डा.सौरभ श्रीवास्तव, डा.डी.के.भट्ट, डा.धीरेन्द्र यादव, डा.पुनीत बिसारिया, डा.सुनीता, डा.रमेष कुमार, डा.षिल्पा मिश्रा, डा.़ऋषि कुमार सक्सेना, डा.लवकुष द्विवेदी, डा.षिवषंकर ंिसह, डा.जे.पी.यादव, डा.सन्तोष पाण्डेय सहित  विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे। 


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