झांसी: बी.यू. में हुआ दो दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का शुभारम्भ


शुभम श्रीवास्तव
झांसी, 28 फरवरी 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। विश्वविद्यालयों में उपलब्ध ज्ञान एवं शोध से प्राप्त कृषि की उन्नत तकनीकों को किसानो तक पहुचाना आवश्यक है तािक क्षेत्रीय किसान उससे लाभ प्राप्त कर सकें। यह विचार शुक्रवार को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य प्रो.वी.के. सहगल ने व्यक्त किये। प्रो. सहगल आज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली तथा बुंदेलखंड के विकास एवं अनुसंधान के नेटवर्किंग परियोजनाओं के अंतर्गत भूजल विश्लेषणात्मक अनुसंधान केन््रद एवं उन्नत भारत अभियान, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित  भूजल प्रदूषण: वर्तमान स्थिति और रणनीतियां विषयक दो दिवसीय आगरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के  उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित प्रतिभागी किसानो को सम्बोधित कर रहे थें। उन्होंने कहा कि  विश्वविद्यालय किसी भी क्षेत्र के विकास की धुरी होता है। यह इस विश्वविद्यालय का सौभाग्य है कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के उन्नत भारत अभियान के तहत क्षेत्र के पांच गांवों को गोद लेकर उनका विकास करने का प्रयास किया जा रहा है।
इस अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता अकादमिक प्रो.एस.पी. सिंह ने कहा कि किसानों की समस्याओं को हल कर उन्हें आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाना विष्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान का उत्तरदायित्व है। उन्होंने कहा कि भूजल प्रदूषण की रोकथाम अत्यंत आवश्यक है क्योंकि पानी के ऊपर ही हमारा, हमारे पशुओं का तथा फसलों का जीवन आधारित होता है। प्रदूषित पानी के कारण मानव पशु तथा फसलें प्रभावित होती हैं । प्रो. सिंह ने भूजल प्रदूषण के संबंध में उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में भूजल प्रदूषण की जांच हेतु एक अनुसंधान केन्द्र स्थापिम किया गया है जिसमें कोइ्र ळभी किसान आरक अपने क्षेत्र के भूजल की गुणवत्ता की जांच करवा सकता है। अधिष्ठाता अभियांत्रिकी संकाय ने कहा कि खाद्य उद्योग के लिए अधिकतर शोधित भूजल का उपयोग किया जाता है परन्तु शोधन के उपरांत भी कई अशुद्धियां रह जाती है। अतः यह आवश्यक है कि भूजल में प्रदूषण न हो। 
विश्वविद्यालय के कुलसचिव नारायण प्रसाद ने कहा कि यह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का एक सराहनीय प्रयास है कि वह गोद लिए गए गांवों के किसानों को विष्वविद्यालय में आमंत्रित किया गया है तथा उनकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रयास किया जा रहा है। श्री प्रसाद का मानना था कि प्लास्टिक वर्तमान में एक भस्मासुर का रूप ले चुका है जो भूजल प्रदूषण का एक प्रमुख कारक बन गया है। कुलसचिव ने कहा विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान के संस्थान के शिक्षक तथा शोधार्थी खेतों में जाकर किसानों के साथ समन्वय स्थापित करें ताकि उन्हे व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त करें।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. बी गंगवार ने कहा किसानों की समस्याओं का समाधान करना तथा उन्हें आवश्यक ज्ञान उपलब्ध करवाना यह हमारा उत्तरदायित्व है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे प्रयासों की सराहना की करते हुए कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि किस क्षेत्रीय किसान किसी भी प्रकार की समस्या के समाधान के लिए उन तक पहुंच कर उनके अनुभव का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। प्रो गंगवार ने कहा किसानों का आव्हान किया कि वे रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का प्रयोग करें तथा भूजल का अधिक से अधिक संरक्षण करें और व्यर्थ न जाने दें।
आज के कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्चन, माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलन से हुआ। कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ ऋषि कुमार सक्सेना ने आमंत्रित अतिथियों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि भूजल देश के सर्वाघक महत्वपूर्ण प्राकतिक संसाधनो ंमें से एक है यह देश की सार्वजनिक जलापूर्ति का चालीस प्रतिशत भूजल के द्वारा प्राप्त होता है। डा.सक्सेना ने कहा कि भूजल संरक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा पहला प्रयास किया जा रहा है, जिसमें विज्ञान   कृषि विज्ञान के शिक्षक तथा किसान एक दूसरे से बातचीत कर ज्ञान एवं तकनीको का आदान प्रदान करेंगे। 
कार्यक्रम का संचालन डॉ ऋषि कुमार सक्सेना ने किया तथा आमंत्रित अतिथियों का आभार डा.जितेन्द्र बबेले ने व्यक्त कियां। इस अवसर पर संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो एम एम सिंह, डॉ.एस के जैन, डा. मुन्ना तिवारी, डॉ अभिमन्यु सिंह, डॉ संतोष पांडेय, डॉ मोहम्मद नईम,  डा.लवकुश द्विवेदी, डॉ शशि आलोक, डाॅ कौशल त्रिपाठी, डॉ प्रणव भार्गव, सतीश साहनी सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक एवं शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।
सांयकालीन संत्र में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे.वी.वैशंपायन ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि स्वच्छ जल की सहायता से हम अपने आप को स्वस्थ तो रख ही सकते हैं साथी इससे गंभीर बीमारियों बचकर दीर्घायु भी हो सकते हैं उन्होंने कहा कि आज जल सबसे महत्वपूर्ण संसाधन है और इसका समुचित उपयोग ही इसका समाधान है कुलपति ने इस अवसर पर कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण करने वाले 10 किसानों को पगड़ी देकर सम्मानित किया एवं शेष सभी किसानों को प्रशिक्षण उपरांत प्रमाण पत्र वितरण किए।


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