शुभम श्रीवास्तव
झांसी, 13 फरवरी 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। महाराजा अग्रसेन सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज शिवपुरी रोड झांसी में पुरातन छात्रों का सम्मेलन सम्पन्न हुआ। सम्मेलन में सभी पूर्व छात्र उपस्थित रहे। इस दौरान पुरातन छात्रों ने भी अपनी स्मृतियां साझा कीं। पढ़ाई के दौरान संस्था से मिली शिक्षा व संस्कार के सहारे देश व समाज के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में की जा रही सेवा के अनुभव सुनाएं। कार्यक्रम में सभी उपस्थित पुरातन छात्रों का तिलक लगाकर सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के भैया बहिनों ने मां सरस्वती की वंदना कर की। तत्पश्चात विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य श्रीकांत त्रिपाठी ने सभी आगन्तुक अतिथियों तथा उपस्थित पुरातन छात्रों का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि विद्यालय के प्रति छात्रों को अपना लगाव बनाये रखना चाहिए। इसके बाद विद्यायल के वरिष्ठ आचार्य गोविंद भावे (प्रमुख पुरातन छात्र परिषद) उपस्थित पुरातप छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाराजा अग्रसेन सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय का प्रारम्भ सन 1993 में दीनदयाल नगर से हुआ था, फिर सन 2000 में विद्यालय को शिवपुरी रोड हाई वे स्थित दानदाताओं द्वारा दान की एक भूमि पर निर्माण कराकर स्थानांतरित किया गया। उन्होंने बताया कि अब वर्तमान में विद्यालय में स्मार्ट क्लास का भी प्रावधान है एवं सीबीएससी पाठ्यक्रम करने की भी तैयार की जा रही है।
मुख्य अतिथि के रुप में राधेश्याम (संभाग निरीक्षक राष्ट्रीय स्वयं संघ, झांसी) ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि शिक्षा के साथ संस्कार जरूरी है। सनातन व वैदिक संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है, किसी काम की नहीं है। 1952 में गोरखपुर से शुरू हुआ विद्या भारती का अभियान का नतीजा है कि आज 20 लाख स्वावलम्बी छात्र सिविल, न्याय, अभियंत्रण, उद्योग ,शिक्षा, स्वास्थ्य, सैन्य आदि क्षेत्रों में देश व समाज की सेवा कर रहे हैं। शिशु कक्षा से छात्रों के भीतर यह भावना कूट कर भरी जाती है कि तन समर्पित...मन समर्पित और यह जीवन समर्पित, बोल इस देश की मिट्टी और तुम्हें क्या दूं...।
उन्होंने कहा कि समाज पोषित विद्या भारती देश के भीतर 13000 विद्यालय चला रहा है। वनवासी, सीमांत व जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाली देश की सन्तानों को शिक्षा तो दूर एक समय का भोजन तक नहीं मिलता था। ऐसे क्षेत्रों में 12000 एकल विद्यालय संस्कार केंद्र चल रहे हैं। कुल 25000 केंद्रों में 36 लाख से अधिक बच्चें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। क्षेत्रीय मंत्री ने आह्वान किया पुरातन स्वावलम्बी छात्र देश व समाज हित के इन पुनीत कार्यों से भी खुद को जोड़ें। उन्होंने कहा कि विद्या भारती देश का एकमात्र सबसे बड़ा शैक्षणिक संगठन है जो समाज पोषित है। यह कक्ष, भवन, लैब, लाइब्रेरी, उपकरण के लिए सरकार से किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं लेता बल्कि समाज जो देता है उसे समाज को ही अर्पित कर देता है।
मुख्य वक्ता डा. चन्द्रकान्त अवस्थी (आर्थिक सलाहकार) ने अपने सम्बोधन में कहा कि जिस तरह एक व्यक्ति का व्यक्तिगत सम्बन्ध अपने परिवार से होता है ठीक उसी तरह वही सम्बन्ध एक छात्र का अपने विद्यालय से होता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने विद्यालय के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अध्यापक छात्र के व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
कार्यक्रम में चित्रांक द्विवेदी, अंशुल मिश्रा, अभिषेक श्रीवास्तव, सत्येन्द्र यादव, शुभम श्रीवास्तव, सेतु सिंह सिसौधिया, हीरेश यादव, अभिनव साहू आदि पुरातन छात्र उपस्थित रहे ।
विशिष्ट अतिथि अवधकिशोर गुप्ता (प्रधानाचार्य भानी देवी गोयल झांसी), दिनेश पाठक (संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ महानगर झांसी), यशवीर (महानगर प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, झांसी) ने भी अपने विचार रखे। सभी का आभार अखिलेश तिवारी (प्रधानाचार्य, महाराजा अग्रसेन सरस्वती विद्या मंदिर) ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर विद्यालय की शिक्षिकाएं कविता राजोरिया, मोहिनी पाठक, सोनल सोनी तथा शिक्षक गोविंद शंकर भावे, जितेन्द्र बाजपेयी, देवेन्द्र सिंह, श्रीकांत त्रिपाठी, भगवान सिंह राही, लाखन सिंह सेंगर, प्रभाकर द्विवेदी, विमलदास, मधुपाल सिंह, चन्द्रप्रकाश द्विवेदी, संजत श्रीवास्तव, राजकुमार, गुरमीत सिंह उपस्थित रहे।
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