'पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका' विषय पर अखिल भारतीय मीडिया कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन सम्पन्न
शुभम श्रीवास्तव
14 सितंबर, 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। शनिवार को पर्यावरण संरक्षण गतिविधि (PSG) के तत्वावधान में
'पर्यावरण संरक्षण में मीडिया की भूमिका' विषय पर अखिल भारतीय स्तर पर मीडिया कार्यशाला का ऑनलाइन आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 150 लोगों ने सहभागिता दी।
बताते चलें कि प्रमुख वक्ताओं में प्रो. संजय द्विवेदी (डीजी, आईआईएमसी), राजेश कुमार (वरिष्ठ पत्रकार) एवं गोपाल आर्य (अखिल भारतीय पीएसजी संयोजक) ने सभी उपस्थित जनों का अपने वक्तव्य से मार्गदर्शन किया।
बता दें कि अपने सम्बोधन में प्रो. संजय द्विवेदी ने पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति समाज को जागृत करने में मीडिया के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मीडिया को पर्यावरण के प्रति लोगों के व्यवहार को बदलने पर कैसे काम करना चाहिए और इसके बजाय वर्तमान टीआरपी में शामिल होने के लिए सरल और आसान भाषा में (यहां तक कि क्षेत्रीय भाषाओं में) लघु वीडियो बनाने और प्रचारित करके राष्ट्रीय महत्व के सकारात्मक मुद्दों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने मीडिया के लोगों को पर्यावरण और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, पत्रकारों से पर्यावरण के बारे में और अधिक पढ़ने, विभिन्न पुस्तकों, स्रोतों और वेदों जैसे प्राचीन शास्त्रों आदि के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का आग्रह किया।
वहीं, राजेश कुमार ने भी सामाजिक और राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों की तुलना में टीआरपी और राजस्व पर अधिक ध्यान केंद्रित किए जाने के लिए मीडिया की आलोचना की। उन्होंने कहा, "COVID-19 ने हमें नए सिरे से सोचने का मार्ग प्रशस्त किया है, प्रकृति के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव लाने का आह्वान किया है"। उन्होंने कहा कि मीडिया के लोगों से आग्रह है कि एकत्रित होकर पर्यावरण के लिए एक साथ कार्य करें ताकि आम आदमी पर्यावरण के संरक्षण के लिए प्रेरित हो सके।
उन्होंने कहा कि इन दिनों बलात्कार, हत्या, चोरी और सभी तरह के नकारात्मक मुद्दों पर मीडिया का ध्यान जाता है और पर्यावरण, विकास, रोजगार और सांप्रदायिक सौहार्द जैसे मुद्दों पर लगभग कोई या न्यूनतम मीडिया ही कवरेज देता है।
पिछले सप्ताह आयोजित "प्रकृति वंदन" कार्यक्रम की भारी सफलता से उत्साहित, गोपाल आर्य, आरएसएस विचारक एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के प्रारम्भकर्ता ने भी अपने सम्पूर्ण वक्तव्य में पर्यावरण को संरक्षित करने पर जोर दिया।
उन्होंने एकल उपयोग प्लास्टिक की बढ़ती खपत और पर्यावरण पर इसके दुष्परिणामों पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की एवं पीएसजी संयोजक ने घर में उत्पन्न विभिन्न प्रकार के कचरे का उपयोग करके 'इको-ब्रिक्स' और 'हरित घर' बनाने के अद्भुत विचार को सभी के सामने व्यक्त किया । उन्होंने कहा, "यह केवल पेड़ लगाने और उनकी रक्षा करने के बारे में नहीं है तथा केवल प्लास्टिक के लिए नहीं, बल्कि केवल घर में स्वयं उपयोग किए गए प्लास्टिक का उपयोग करके अपने जीवन को बढ़ाने की दिशा में काम करने के बारे में है।
उन्होंने कहा कि मानव के अस्तित्व एवं पर्यावरण के महत्व को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ने अगले तीन महीनों के लिए 'इको ब्रिक्स' पहल पर काम करने का निर्णय लिया है। ताकि जिससे इको ब्रिक्स का विचार जड़ में ले जा जाए और एक आंदोलन में बदल दिया जाए। उन्होंने बताया कि यह एक राष्ट्रव्यापी स्वैच्छिक संगठन है जिसमें देश भर के 44 प्रांतों और 736 जिलों के सदस्य हैं। जो पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण के मिशन की दिशा में काम कर रहा है, एवं जल संरक्षण (प्रबंधन, वृक्षारोपण और नॉनबॉडीग्रेडेबल के उपयोग में कमी) के तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है।
इस ऑनलाइन कार्यशाला में सुरभि तोमर, नियति शर्मा, डॉ. नितिन कुमार पांडेय के साथ सम्पूर्ण देश के विभिन्न प्रान्तों के जिलों से सम्पादक, पत्रकार एवं लेखक उपस्थित रहे।
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