Edited by : Shubham Shrivastava
झाँसी, 11 दिसम्बर 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। विश्व में प्लास्टिक की समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। इसे सड़ने में हजारों साल का समय लग जाता है। जाहिर है कि पानी के लिए इस्तेमाल की जानी वाली बोतलों को लोग इधर-उधर फेंक देते हैं। लेकिन, वे शायद ही यह जानते होंगे कि इन्हें नष्ट होने में करीब 450 साल लग जाते हैं।
बता दें कि प्लास्टिक न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह हमारे पारिस्थतिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है। इसे जलाने से जहरीली गैस उत्पन्न होती है। लेकिन, अब इस प्लास्टिक कचरे से निजात पाने के लिए लोगों ने एक नया तरीका खोज निकाला है। देश में कई स्थानों पर इन खाली बोतलों का इस्तेमाल निर्माण कार्यों में किया जा रहा है जो कि एक अच्छी पहल है।
बताते चलें कि पर्यावरण संरक्षण गतिविधि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्वावधान में कानपुर प्रान्त के झांसी महानगर की टोली के द्वारा पेड़ लगाओ, पानी बचाओ व पाॅलीथीन हटाओ जागरुकता अभियान के अन्तर्गत शुक्रवार को झांसी जनपद के भानी देवी गोयल सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज, झाँसी के आचार्यों को इकोब्रिक्स तैयार किए जाने का प्रशिक्षण दिया गया।
रि-साइकिल कर इस तरह हो रहा इस्तेमाल : गरिमा गुप्ता
कार्यक्रम में शिक्षकों को इकोब्रिक्स बनाने का प्रशिक्षण देने के दौरान पर्यावरण संरक्षण गतिविधि की मातृशक्ति प्रमुख गरिमा गुप्ता ने कहा कि देश में कचरे के विशाल पहाड़ बन रहे हैं जिसमें 50 फीसदी प्लास्टिक कचरा शामिल है। यह एक गंभीर और चिंता का विषय है। लोग प्लास्टिक से जुड़ी चीजों को इतना खरीद और बेच रहे हैं जो पर्यावरण के लिहाज से बेहद खतरनाक है। अब हम दो खरब टन प्लास्टिक उत्पन्न कर चुके हैं और इसमें प्रतिदिन इजाफा होता चला जा रहा है। अब सवाल ये उठता है कि इसको रि-साइकिल करके किस तरह से इस्तेमाल में लाया जाए।
हालांकि, इसे करने के लिए पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कई तरह की मुहिम चलाई हैं, जिनमें से एक ईको ब्रिक का निर्माण है। इस निर्माण में प्लास्टिक की खाली बेकार बोतलों का उपयोग करके घर और दीवारी बनाई जा रही हैं। प्लास्टिक को कम करने का ये सबसे कारगर तरीका है। प्लास्टिक की इन खाली बोतलों में प्लास्टिक कचरा भरा जाता है। उसके बाद बोतलों को बंद करके ईंटों की जगह इस्तेमाल किया जाता है। प्लास्टिक की बोतलें ईंटों की तरह मजबूत और टिकाऊ होती हैं। ऐसा करके पर्यावरण को फायदा पहुंचाया जा सकता है। यह प्लास्टिक के कचरे के खिलाफ लड़ने में भी मददगार साबित होगा।
पर्यावरण को बचाने में सबकी भागीदारी जरूरी : डॉ. पंकज लवानिया
प्रशिक्षण के दौरान पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के महानगर संयोजक डॉ. पंकज लवानिया ने कहा कि हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह है कि लोग सोचते हैं पर्यावरण को कोई और बचाएगा। जबकि, इसे सुरक्षित रखने के लिए हमें खुद आगे आना चाहिए। इस ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति को इसे बचाने में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ईको- ब्रिक बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बेकार बोतलों की जरूरत होती है। इन बोतलों में बेकार प्लास्टिक के टुकड़ों को भरना होता है और एक बार संकुचित करना होता है। ऐसा करने से एक वजनदार उत्पाद तैयार हो जाता है जो काफी मजबूत और ठोस होता है। इससे घर बनाने में ऊर्जा बचती है और दूसरा प्रकृति के लिए भी फायदेमंद है।
कार्यक्रम का संचालन भानी देवी गोयल के प्रधानाचार्य अवध किशोर गुप्ता द्वारा किया गया तथा सभी का आभार विद्यालय के आचार्य हरिश्चन्द्र गुप्ता ने व्यक्त किया।
इस दौरान विद्यालय के शिक्षक, कार्यालय लिपिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।
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