Edited By : Shubham Shrivastava
पाॅलिथिन रुपी जिन्न को करें बोतल में कैद: डा. उमेश
पाॅलिथिन उन्मूलन में इकोब्रिक्स के अहम योगदान पर संगोष्ठी सम्पन्न
झांसी, 20 दिसम्बर 2020 (दैनिक पालिग्राफ)। पाॅलिथिन उन्मूलन में इकोब्रिक्स के अहम योगदान पर पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के तत्वावधान में एक संगोष्ठी रविवार को पं. दीनदयाल सभागार में सम्पन्न हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राकेश जैन जी (अखिल भारतीय सह-संयोजक पर्यावरण पर्यावरण संरक्षण गतिविधि) व विशिष्ट अतिथि डाॅ. उमेश जी (राष्ट्रीय शैक्षिणिक संस्थान सह-प्रमुख, प्रान्त संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कानपुर प्रान्त) उपस्थित रहे एवं अध्यक्षता प्रो. अरविन्द कुमार, (कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी, उ.प्र.) उपस्थित रहे।
राकेश जैन जी ने कहा कि पाॅलिथिन हमारे पर्यावरण के लिए एक अभिशाप है, पॉलिथिन का प्रयोग जितना कम होगा उतना पर्यावरण के लिए अच्छा होगा। उन्होंने संगोष्ठी में उपस्थित पर्यावरण प्रेमियों से ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि विश्व में प्लास्टिक की समस्या दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। इसे सड़ने में हजारों साल का समय लग जाता है। जाहिर है कि पानी के लिए इस्तेमाल की जानी वाली बोतलों को लोग इधर-उधर फेंक देते हैं। लेकिन, वे शायद ही यह जानते होंगे कि इन्हें नष्ट होने में करीब 450 वर्ष से भी ज्यादा समय लग जाता है।
वहीं, विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित डाॅ. उमेश (राष्ट्रीय शैक्षिणिक संस्थान सह-प्रमुख, प्रान्त संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि कानपुर, उ.प्र.) ने बताया कि प्लास्टिक न सिर्फ हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह हमारे पारिस्थतिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचाता है। इसे जलाने से जहरीली गैस उत्पन्न होती है। लेकिन, अब इस प्लास्टिक कचरे से निजात पाने के लिए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि ने एक नया तरीका खोज निकाला है। देश में कई स्थानों पर इन खाली बोतलों में पाॅलिथिन को भरकर तथा ईकोेब्रिक्स बनाकर इनका इस्तेमाल निर्माण कार्यों में किया जा रहा है जो कि एक अच्छी पहल है।
पर्यावरण संरक्षण में ईकोब्रिक्स के महत्व को समझाते हुए डाॅ. उमेश जी ने कहा कि प्लास्टिक को कम करने का यह सबसे कारगर तरीका है। उन्होंने ईकोब्रिक्स बनाने की विधि को बताते हुए कहा कि ईको- ब्रिक बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बेकार बोतलों की जरूरत होती है। इन बोतलों में बेकार प्लास्टिक के टुकड़ों को भरना होता है और एक बार संकुचित करना होता है। ऐसा करने से एक वजनदार उत्पाद तैयार हो जाता है जो काफी मजबूत और ठोस होता है। इससे घर बनाने में ऊर्जा बचती है और दूसरा प्रकृति के लिए भी फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक की खाली बोतलों में प्लास्टिक कचरा भरा जाता है। उसके बाद बोतलों को बंद करके ईंटों की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक की बोतलें ईंटों की तरह मजबूत और टिकाऊ होती हैं। ऐसा करके पर्यावरण को फायदा पहुंचाया जा सकता है। यह प्लास्टिक के कचरे के खिलाफ जंग लड़ने में भी मददगार साबित होगा।
वहीं, संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अरविन्द कुमार (कुलपति, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी, उ.प्र.) ने कहा कि पर्यावरण को बचाने में सबकी भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमारे ग्रह के लिए सबसे बड़ा खतरा यह है कि लोग सोचते हैं पर्यावरण को कोई और बचाएगा। जबकि, इसे सुरक्षित रखने के लिए हमें खुद आगे आना चाहिए। इस ग्रह के प्रत्येक व्यक्ति को इसे बचाने में सक्रिय भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
बताते चलें कि तुलसी व थैला वितरण कर कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरण प्रेमियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए उत्साहित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण गतिविधि झांसी महानगर द्वारा प्लास्टिक से बने हुए उत्पादों की एक मनमोहक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसका मुख्य आकर्षण पाॅलिथिन से बने उत्पादों जैसे गुलदश्ते, दरियां, चटाई आदि रहीं।
कार्यक्रम का कुशल संचालन पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के विभाग संयोजक डाॅ. नितिन पाण्डेय जी ने किया।
पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के महानगर संयोजक डाॅ. पंकज लवानिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।
इस दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रान्त कार्यवाह अनिल श्रीवास्तव जी, विभाग प्रचारक अजय जी, महानगर प्रचारक अनुराग जी, विधायक रवि शर्मा, महापौर रामतीर्थ सिंघल, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के महानगर सह-संयोजक डा. योगेश्वर सिंह, धर्माचार्य प्रमुख मनोज पाठक, मातृशक्ति प्रमुख श्रीमती गरिमा गुप्ता, सोशल मीडिया सम्पर्क प्रमुख नीरज जी, संघ विविध क्षेत्र प्रमुख धीरज जी आदि सैंकड़ों की संख्या में पर्यावरण प्रेमी उपस्थित रहे।
Comments
Post a Comment